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धन दौलत का विषय स्कूल में नहीं पढाया जाता |


नमस्कार दोस्तों,

आज मैं फिर आपके लिए एक विचारणीय विषय लाया हूँ-

धन-दौलत का विषय स्कूल में नहीं पढाया जाता, बल्कि घर पर पढाया जाता हैं |”

पैसा एक ऐसा विषय है जिस पर इन्सान का पूरा जीवन टिका होता हैं जिन्दगी भर उसे पैसो के लिए काम करना पड़ता हैं पर फिर भी पैसे के महत्वपूर्ण विषय को हम सिर्फ घर से  ही सीखते हैं|
 

अक्सर हम देखते हैं की गरीब या मध्यम वर्ग अपने बच्चो के साथ पैसो की बाते करने से बचते हैं. कभी अपने बच्चो के साथ पैसो की बात नहीं करते अगर बच्चे कुछ पैसे मांगते हैं तो वे उसे डट देते हैं और कहते हैं की क्या पैसे पेड़ पर उगते हैं जो तुम दिन भर मुझसे मांगते रहते हो, या फिर बच्चे बड़े होते हैं और अगर पैसे मांगते हैं तो कहते हैं की पैसा बड़ी मुश्किल से कमाया जाता हैं जब तुम्हे कमाना पड़ेगा तो पता चलेगा और भी कई सारी बाते हैं जो अक्सर माता पिता कहते हैं|

आज का मेरा ये ब्लॉग इसी बात पर है की आखिर अमीर लोग अपने बच्चो को पैसो के बारे में ऐसा क्या सिखाते है? जो गरीब और मध्य वर्ग नहीं सिखाते|

शायद इसलिए अमीर और अमीर होते जाते हैं, जबकि गरीब और ज्यादा गरीब होते जाते हैं और मध्य वर्ग क़र्ज़ में डूबा रहता हैं | हममें से ज्यादातर लोग पैसे के बारे में अपने माता- पिता से सिखाते हैं| कोई गरीब पिता अपने बच्चे को पैसे के बारे में क्या सीखा सकता हैं ? वह सिर्फ इतना ही कह सकता हैं, “स्कूल जाओ और मेहनत से पढो |” हो सकता हैं वह बच्चा अच्छे नंबरो से कॉलेज की पढाई पूरी कर ले | फिर भी पैसे के मामले में उसकी मानसिकता और उसका सोचने का ढंग एक गरीब आदमी जैसा ही बना रहेगा| यह सब उसने तब सीखा था जब वह छोटा बच्चा था| हममें से ज्यादातर लोगो ने यह कहावत सुनी होगी, “आप वह हैं जो आप खाते हैं |”

रोबर्ट टी. कियोसाकी जो की अमेरिका के अरबपति हैं और “रिच डैड पुअर डैड” शीर्षक किताब जो की एक बेस्ट सेलर बुक हैं के लेखक भी हैं कहते हैं की “आप वह बनते हैं जो आप पढ़ते हैं|” दुसरे शब्दों में, आप सावधान रहें की आप क्या पढ़ रहे हैं या सीख रहे हैं क्योंकि आपका दिमाग इतना ज्यादा ताकतवर है की आप जिस चीज़ के बारे में सीखेंगे, आप वही बन जायेंगे|  उदाहरण के तौर पर, “अगर आप कुकिंग सीखते हैं तो आप कुक बन जाते हैं और इसी तरह शिक्षण का अध्ययन कर लेने के बाद आप अक्सर एक शिक्षक बन जाते हैं|”


क्योंकि धन का विषय स्कूलों में नहीं पढ़ाया जाता इसलिए ये धन का विचार व्यक्ति को अपने घर से मिलता हैं और समय के साथ ये उसकी आदत बन जाता हैं| किसी व्यक्ति के विचार और आदत उसकी जिन्दगी पर कितना जबरदस्त प्रभाव डाल सकते हैं | उदाहरण से समझते हैं – गरीब व्यक्ति को ये कहने की आदत होती हैं की ,”मैं इसे नहीं खरीद सकता|” जबकि एक और अमीर व्यक्ति ये कहता हैं –“ मैं इसे कैसे खरीद सकता हूँ ?”
इस उदाहरण में पहला वाक्य नकारात्मक हैं और दूसरा प्रश्नवाचक|
एक में बात ख़त्म हो जाती हैं और दुसरे में आप सोचने के लिए मजबूर हो जाते हैं| जब हम ये कहते हैं  “मैं इसे नहीं खरीद सकता” तो हमारा दिमाग काम करना बंद कर देता हैं| इसके बजाय जब हम यह सवाल पूछते हैं , “मैं इसे कैसे खरीद सकता हूँ?” तो हमारा दिमाग काम करने लगता हैं | 


तो अक्सर देखने में आता हैं की गरीब या मध्य वर्ग पैसे के मामलों में अपने दिमाग को सुला देते हैं और अमीर पैसे के लिए अपने दिमाग को लगातार कसरत करवाते रहते हैं | इसका दीर्घकालीन परिणाम यह होता हैं की अमीर और अमीर हो जाते हैं और गरीब और गरीब हो जाते हैं एवं मध्य वर्ग क़र्ज़ में फंस कर पूरा जीवन निकल देते हैं|

 सारांश: पैसा हर इंसान के पुरे जीवन को प्रभावित करता हैं पर फिर भी अधिकांश गरीब या मध्य वर्ग माता पिता अपने बच्चो को सिर्फ “पैसो के लिए काम करना” ही सिखाते हैं |
 
 जबकि अमीर अपने बच्चो को “पैसा किस तरह काम करता हैं”  सिखाते हैं|





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