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Showing posts from May, 2020

खुद को सबसे पहले भुगतान करे !

नमस्कार दोस्तो, आज मैं फिर अपने ब्लॉग के माध्यम से एक ऐसा विषय लाया हूँ जो हमारी जिन्दगी पर बहुत ज्यादा प्रभाव डालता हैं | हमारी जिन्दगी पर हमारी शिक्षा से ज्यादा असर हमारी आदतों का पड़ता हैं | हम जैसा रोज करते हैं वही हमारी आदत बन जाता है जैसे अगर किसी व्यक्ति को रोज सुबह जल्दी उठ कर कसरत करने की आदत हैं तो फर्क नहीं पड़ता की दिन कौन सा हैं वह व्यक्ति रविवार को भी जल्दी उठेंगा और कसरत ही करेगा | क्योंकि जल्दी उठाना और कसरत करना उसकी आदत बन चुकी हैं | पर आज मैं जिस आदत के बारे आपको बताने जा रहा हूँ वो हैं “धन की बचत” सम्बंधित आदत”| जी हाँ धन की बचत की आदत एक ऐसी आदत हैं जो हमारी पूरी जिन्दगी पर बहुत ज्यादा प्रभाव डालती हैं| जैसा आयरिश कवि, आस्कर वाइल्ड कहते हैं , “जब मैं छोटा था, तो सोचता था की पैसा जिंदगी में सबसे अहम् चीज़ हैं| अब जब मैं बुढा हो गया हूँ , तो मैं जानता हूँ कि यह वाकई हैं|” ज्यादातर लोग यह नहीं समझ पाते हैं कि असल बात यह नही हैं की आप कितना पैसा कमाते हैं, बल्कि यह हैं कि आप कितना पैसा अपने पास रख पाते हैं | पै

पढो और नौकर बनो!

नमस्कार दोस्तों, आज में फिर अपने ब्लॉग के माध्यम से आपके सामने एक गहन विचार का विषय लाया हूं| हमारे देश के हजारो लाखो युवा IIT, IIM जैसे इंस्टिट्यूट से पढ कर भी देश मे या विदेश में नौकरी करने का सोचते हैं और गूगल,माइक्रोसॉफ्ट, फेसबुक जैसी बड़ी कम्पनी में एक बड़ी सैलरी पर काम करना चाहते हैं| तो आज का मेरे ब्लॉग का टॉपिक यही हैं की  " पढो और नौकर बनो|" “क्या सच में पढ़ लिखने के बाद सिर्फ नौकरी करना ही एक मात्र विकल्प हैं?” शायद इसका मूल कारण हमारे शिक्षा प्रणाली और हमारे समाज की जड़ो में ही छिपा हैं | हमारी शिक्षा प्रणाली और हमारा समाज बच्चपन से ही हमें इस प्रकार प्रशिक्षित करता हैं की हम एक नौकर बने| इसे हम एक उदाहरण से समझते हैं :- जब एक 10 वी कक्षा के छात्र से स्कूल में पूछा जाता हैं की आप बड़ा होकर क्या बनोगे तो वो जवाब देता हैं , “मैं बड़ा होकर डॉक्टर बनना चाहता हूँ |” या फिर ये जवाब हो सकता हैं की “मैं बड़ा होकर इंजिनियर बनना चाहता हूँ| या टीचर या फिर आईएएस (कलेक्टर)”, पर क्या सच में पढ़ लिखने के बाद नौकरी ही एक मात्र विकल्प हैं ? क्यो

स्वदेशी मत अपनाओ !

नमस्कार दोस्तों, आज के मेरे ब्लॉग के टाइटल को पढ़ कर कई सारे मेरे ब्लॉग के दोस्त कहेंगे की ये क्या सलाह दे रहा हैं ? पर ये सच हैं की स्वदेश मत अपनाओ | ये बात समझने के लिए पूरा ब्लॉग जरुर जरुर पड़े | आज में फिर एक ऐसे विषय पर अपना ब्लॉग लेकर आया हूँ जिस पर अभी देश में बहुत सी बाते हो रही हैं| आज पूरा विश्व कोरोना महामारी से लड़ रहा हैं साथ ही साथ विश्वव्यपी मंदी से भी लड़ रहा हैं | इस विश्वव्यपी मंदी में हमारे देश में एक बात अक्सर निकल कर आती हैं की हमें देश को मंदी से उभरने के लिए अपने देश के बने प्रोडक्ट ही खरीदना चाहिए| देश की कंपनियों से ही प्रोडक्ट ख़रीदे| ऑनलाइन ना ख़रीदे | या कोई भी विदेशी प्रोडक्ट ना ख़रीदे| ऐसे कई सारे समाधान आते हैं| पर क्या हम वास्तिविकता देख पा रहे हैं? क्या हम सच में सिर्फ विदेश के प्रोडक्ट ही खरीदते हैं? चलिए आज हम समझने की कोशिश करते हैं की क्या वाकई हम अपने देश के प्रोडक्ट नहीं खरीदते? इसे समझते हैं – “ रमेश एक सॉफ्टवेर इंजिनियर हैं जिसने IIT   मुंबई से पढाई की है और वो एक मल्टीनेशनल सॉफ्टवेर कंपनी wirpo में काम करता हैं| एक आम इन्सान की तरह ही रमेश

दुनिया प्रतिभा संपन्न गरीब लोगो से भरी पड़ी हैं?

दुनिया प्रतिभा संपन्न गरीब लोगो से भरी पड़ी हैं? नमस्कार दोस्तों, आज मैं फिर आपके सामने एक विचारणीय विषय लाया हूँ | दुनिया प्रतिभा संपन्न गरीब लोगो से भरी पड़ी हैं? दुनिया स्मार्ट, गुणी, शिक्षित और प्रतिभासंपन्न लोगो से भरी हुई हैं| हम उनसे हर दिन मिलते हैं| वे हमारे चारो तरफ हैं|    अक्सर, वे या तो गरीब हैं या फिर पैसे की समस्या से जूझ रहे हैं या अपनी क्षमताओ से कम पैसा काम रहे हैं| और इसका जिम्मेदार उनके ज्ञान का विषय नहीं हैं,बल्कि उनका अज्ञान हैं| वे एक बेहतर हैमबर्गर ( अमेरिकन वाडा पाव) बनाने की दक्षता को पैना करने में ही लगे रहते हैं और हैमबर्गर को बेचने और उसे घर तक पहुँचाने की दक्षता पर बिलकुल भी ध्यान नहीं देते हैं| “कितने ही लोग हैं जो ज्यादा बेहतर हैमबर्गर बना लेते हैं शायद मैकडोनाल्ड सबसे अच्छे हैमबर्गर नहीं बनता हैं, तो ऐसा क्यों होता हैं की मैकडोनाल्ड ज्यादा पैसा बना लेता हैं ?” जवाब साफ हैं : मैकडोनाल्ड मूलभूत रूप से एक औसत हैमबर्गर को बेचने और उसे घर तक पहुँचाने में सर्वश्रेष्ठ हैं | मैकडोनाल्ड बिज़नेस सिस्टम में आपसे अच्छा हैं