नमस्कार दोस्तो,
आज मैं फिर अपने ब्लॉग के माध्यम से एक ऐसा विषय लाया हूँ जो हमारी जिन्दगी पर बहुत ज्यादा प्रभाव डालता हैं |
हमारी जिन्दगी पर हमारी शिक्षा से ज्यादा असर हमारी आदतों का पड़ता हैं | हम जैसा रोज करते हैं वही हमारी आदत बन जाता है जैसे अगर किसी व्यक्ति को रोज सुबह जल्दी उठ कर कसरत करने की आदत हैं तो फर्क नहीं पड़ता की दिन कौन सा हैं वह व्यक्ति रविवार को भी जल्दी उठेंगा और कसरत ही करेगा | क्योंकि जल्दी उठाना और कसरत करना उसकी आदत बन चुकी हैं | पर आज मैं जिस आदत के बारे आपको बताने जा रहा हूँ वो हैं “धन की बचत” सम्बंधित आदत”| जी हाँ धन की बचत की आदत एक ऐसी आदत हैं जो हमारी पूरी जिन्दगी पर बहुत ज्यादा प्रभाव डालती हैं|
ज्यादातर लोग यह नहीं समझ पाते हैं कि असल बात यह नही हैं की आप कितना पैसा कमाते हैं, बल्कि यह हैं कि आप कितना पैसा अपने पास रख पाते हैं | पैसो को खर्च करने और बचाने के लिए काफी हद तक हमारी आदतें ही जिम्मेदार होती हैं | हमारी आदतें कैसे “धन की बचत” पर प्रभाव डालती हैं इसे हम दो दोस्तों के बीच एक बातचीत के उदाहरण से समझते हैं -
विनोद और रोहित दोनो काफी अच्छे दोस्त हैं दोनों एक ही ऑफिस में काम करते हैं | और एक ही डिपार्टमेंट में काम करते है| कुछ दिनों से रोहित काफी परेशान था|
विनोद ने उसकी परेशानी की वजह जानना चाही |
विनोद : ”रोहित तुम कुछ दिनों से काफी परेशान दिख रहे हो| क्या कोई परेशानी हैं ?
रोहित : “यार मैं कुछ दिनों से अपने भविष्य को लेकर परेशान हूँ | मैं हर महीने अपनी सैलरी से बचत करना चाहता हूँ पर हर महीने के खर्चो के बाद आखिर मे मेरे बैंक अकाउंट में कुछ बचता ही नहीं है| मैं और मेरी पत्नी दोनों अपने खर्चे कम करने की कोशिश करते हैं लेकिन फिर भी बचत नही हो पाती हैं | इसलिए में कुछ दिनों से अपने भविष्य को लेकर काफी परेशान हूँ और हर समय बस यही सोचता रहता हूँ की पैसे की बचत कैसे की जाए? ”
उसकी बाते सुनने के बाद विनोद ये समझ गया की शायद रोहित को “पैसो की बचत करने का सिद्धान्त” नहीं पता हैं| जो की पैसो की बचत के लिए अनिवार्य हैं|
अब जब विनोद को रोहित की परेशानी की वजह पता चल गई थी तो विनोद ने रोहित से कहा : “रोहित तुम शायद पैसो की बचत का अनिवार्य सिद्धान्त नहीं जानते हो ?
रोहित, विनोद की और आश्चर्य से देखता हैं और कहता है ,”पैसो की बचत का अनिवार्य सिद्धान्त?”
ये कौन सा सिद्धान्त हैं? मुझे भी बताओ|
विनोद :- वो अनिवार्य सिद्धान्त हैं “खुद को सबसे पहले भुगतान करे |”
पैसो के अनिवार्य सिद्धान्त पर रोहित हँसने लगा और कहने लगा की ये कैसा सिद्धान्त हैं ? “मेरी सैलरी मुझे ही तो मिलती है “ फिर तुम ये क्यों कह रहे हो की “खुद को सबसे पहले भुगतान करो|”
इस पर विनोद ने रोहित से पूछा की “क्या तुम अपनी सैलरी से अपने घर का बिजली बिल नहीं देते? या फिर अपने घर की क़िस्त नहीं देते? क्या तुम खाना नहीं खाते? तुम्हारी पिछले महीने की कमाई कहा है? और पिछले साल की कमाई?” दोस्त तुम सबको पैसे देते हो लेकिन अपने आप को नहीं देते | दोस्त तुम दुसरो के लिए काम कर रहे हो |
रोहित उसकी बातें सुन कर कही खो गया , और कुछ सोचने के बाद कहा की दोस्त ये तो सभी करते हैं पर समस्या यह हैं की आखिर बचत कैसे की जाये?
विनोद ने फिर कहा :- “अपनी कमाई का एक हिस्सा सबसे पहले खुद रखो | चाहे तुम्हारी सैलरी कितनी कम भी क्यों ना हो | तुम्हे इसके 10% से कम नही बचाना चाहिए| तुम इससे ज्यादा बचा सकते हो तो बचा लो| अब ये मान कर अपनी सैलरी खर्च करो की तुम्हारी सैलरी ही इतनी हैं | और इसी में खर्च चलाना हैं | जैसा की तुम जानते हो की सरकार भी कर्मचारियों के पी.एफ. का पैसा सैलरी से पहले ही काट लेती हैं ताकि कर्मचारियों को बाद में देते समय तकलीफ ना हो| क्योंकि किसी भी चीज़ की बचत हमेशा पहले होती हैं ना की बाद में | अब रोहित को विनोद की बाते समझ आ रही थी |
“विनोद ने रोहित से कहा की यही वो खास वजह है जिसके कारण तुम्हे संघर्ष करना पड़ रहा हैं” और अक्सर इसी वजह से औरो को भी जिन्दगी भर आर्थिक संघर्ष करना पड़ता हैं|”
विनोद :- “तुम सबको पहले
भुगतान करते हो|” और खुद को सबसे आखिर में पैसे देते हो और ऐसा भी तभी करते हो जब
तुम्हारे पास कुछ बचा होता हैं| और सामान्य तौर पर तुम्हारे पास कुछ नहीं बचता|”
विनोद ने रोहित से कहा की तुम पैसो के बचत के अनिवार्य सिद्धान्त का पालन करो- “अपनी सैलरी से हर महीने कम से कम 10% प्रतिशत सबसे पहले अपने पास रखो | और फिर बाकि के बचे पैसो से अपना खर्चा चलाओ | शुरू में खर्च चलने में थोड़ी परेशानी आ सकती है पर कुछ महीनो बाद परेशानी नहीं होगी | और देखते ही देखते कुछ महीनो बाद तुम्हारे पास एक अच्छी खासी बचत हो जाएगी | और फिर इस बचत को तुम किसी अच्छे से निवेश में लगा सकते हो जिससे तुम्हरी बचत भविष्य में और पैसा कमा कर देगी|”
“पेड़ की तरह ही दौलत भी एक छोटे से बीज से उगती है|” तुम्हारे द्वारा बचाया गया एक रुपया वह बीज हैं, जिससे तुम्हारा दौलत का पेड उगेगा| जितनी जल्दी तुम ये बीज बो दोगे, पेड उतनी ही जल्दी उगेगा|
इस उदाहरण से हम ये समझ सकते हैं की दुनिया में जितने भी लोग हैं वो
अपनी धन की बचत की सम्बन्धी आदतों के कारण
अपनी सैलरी से बचत नहीं कर पाते हैं| इसका मतलब यही हैं की वे लोग या तो धन की बचत
का अनिवार्य नियम “खुद को सबसे पहले भुगतान करे” नहीं जानते और अगर जानते
हैं तो उसका अनुसरण दृढ़ संकल्प से नहीं करते हैं |
“आदतें ही इन्सान को बनाती हैं“ इस कथन को हमारे
बैंक भी समझते हैं इसलिए वो बचत की आदत तभी से डालना चाहती है जब आप छोटे होते
हैं| जब आप पैसो की बचत बचपन से करते हैं तो वो एक आदत का रूप ले लेती हैं | और आप
समझ सकते हैं की 20 साल की उम्र से बचत शुरू करने वाले और 30 साल की उम्र से बचत
शुरू करने वाले लोगो की बचत में बहुत बड़ा फर्क होगा | बहुत ही बड़ा|
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Bilkul Sahi arjun sir kya baat h aur thanks muje itna samajdaar batane k liye
ReplyDeleteJi vinod ji
DeleteBahit badiya bhai aaj se hi shuru kr dete he he kaam
ReplyDeleteBilkul
DeleteGreat thought and must needed activity for every middle class.
ReplyDeleteThank you alok
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