नमस्कार दोस्तों,
अक्सर हम सुनते और देखते आए हैं की किसी काम को करने के लिए समय का प्रबंधन या टाइम मैनेजमेंट बहुत जरुरी हैं| हम सभी स्कूल के दिनों से टीचर से सुनते आ रहे हैं कि टाइम मैनेजमेंट बहुत जरुरी हैं | पर क्या सच में टाइम मैनेजमेंट ही एक मात्र सफलता का साधन है ?
क्या सच में दुनिया में जितने भी सफल व्यक्ति हुए है वो सभी टाइम मैनेजमेंट करते हैं ?
नहीं दोस्तों , क्योंकि समय अपने आप में ही मैनेज होता हैं | दोस्तों कभी अपने देखा हैं की किसी इन्सान को दिन में 28 या 30 घंटे मिले हो और किसी को सिर्फ 10 या 15 घंटे ही मिले हो | नहीं ना ! जो कामयाब होते हैं उनको भी प्रकृति ने 24 घंटे ही दिए हैं और जो नाकामयाब होते हैं उन्हें भी प्रकृति 24 घंटे ही देती हैं | प्रकृति समय देने में कभी किसी के साथ भेद भाव नहीं किया | कि आदमी को ज्यादा समय दिया तो औरतो को कम ,कि जवान को ज्यादा समय दिया , बुजुर्गो को कम , या फिर रंग के आधार पर की जो काला है उसे कम समय मिला और जो गोरा है उसे ज्यादा समय मिला| कभी पढ़ा या सुना है ऐसा ? तो फिर अंतर कहाँ आता हैं जो कुछ लोग जीवन में ज्यादा सफल और कामयाब हो जाते हैं और कुछ लोग जीवन भर संघर्ष करते रहते हैं | जबकि प्रकृति ने सभी को सामान समय 24 घंटे दिए हैं|
मुद्दा ये हैं कि हम उस समय में क्या काम करते ये ज्यादा मायने रखता हैं |
उदाहरण से समझते हैं – दो दोस्त हैं रोहित और विनय | दोनों एक ही क्लास में पढ़ते हैं | रोहित स्कूल से आने के बाद पूरा दिन मोबाइल पर गेम खेलते हुए बिताता हैं और एक और विनय रोजाना दो घंटे पढाई करता हैं और फिर मोबाइल पर गेम खेलता हैं | जब दोनों का एग्जाम रिजल्ट आया तो जहाँ विनय ने स्कूल में टॉप किया था वहीँ दूसरी और रोहित फ़ैल हो गया था| जबकि दोनों ही को पढाई करने के लिए पूरा साल मिला था| फिर भी रोहित फ़ैल हो गया और विनय ना ही सिर्फ पास हुआ बल्कि उसने स्कूल में टॉप भी किया | ऐसा क्यों ? यहाँ रोहित और विनय का अपने काम का चुनाव ही सबसे बड़ा मुद्दा हैं |
क्योंकि समय दोनों के पास बराबर था लेकिन रोहित ने मोबाइल पर गेम खेलना चुना, दूसरी और विनय ने वो काम पहले चुना जो उसके जीवन पर सबसे ज्यादा असर डालता था – मतलब पढाई|
आप चुनने के लिए हमेशा स्वतंत्र हैं | हर घंटे , हर मिनट आप यह चुनाव करते हैं कि आप क्या करेंगे और क्या नहीं | इसी से आपकी पूरी जिन्दगी बनती हैं | प्रकृति का एक नियम हैं जो यह कहता हैं कि एक चीज़ करना यानी कोई दूसरी चीज़ न करना |
जब भी आप कोई काम शुरू करते हैं , तो आप चेतन या अवचेतन रूप से कोई दूसरा काम न करने का फैसला कर रहे हैं, जिसे आप उस पल कर सकते हैं| आप कौन सा काम पहले करें , कौन सा दुसरे क्रम पर करें और कौन सा बिलकुल न करें , इस सन्दर्भ में समझदारी से चुनाव करने की योग्यता ही आपके पूरी जीवन को तय करती हैं|
अमेरिका के बिज़नेसमेन वारेन बफेट से एक बार एक इंटरव्यू में टाइम मैनेजमेंट के बारे में पूछा गया तो उनका जवाब था – “ मेरे पास हर समय एक अच्छा बिज़नेस ऑफर होता हैं लेकिन मैं सभी बिज़नेस ऑफर को स्वीकार नहीं कर सकता | जब मैं अपने दिन की शुरुआत करता हूँ तो मेरे पास दिन में करने को कई सारे काम होते हैं लेकिन में सिर्फ वही काम को चुनता हूँ जो मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण होते हैं और जो मेरे जीवन पर सबसे ज्यादा असर डालते हो| अगर मैं अपना टाइम मैनेज करके अपने दिन के सारे छोटे बड़े काम करूँगा तो मैं अपने सबसे महत्वपूर्ण बिज़नेस के काम को कभी पूरा नही कर पाउँगा इसलिए मैं अपने दिन में सिर्फ वही 4-5 महत्वपूर्ण काम ही करता हूं जिसे मेरे सिवा और कोई नहीं कर सकता | “
इसी प्रकार 80/20 का नियम भी कहता हैं जिसे इतावली अर्थशात्री विल्फ्रेड़ो पेरेटो ने 1895 में सबसे पहले लिखा था- यह सिध्दांत कहता हैं कि “आपकी 20 प्रतिशत गतिविधियाँ ही 80 प्रतिशत परिणाम देती हैं |”
जैसे आपके 20 प्रतिशत ग्राहक 80 प्रतिशत बिक्री
करते हैं , आपके 20 प्रतिशत प्रोडक्ट्स ही 80 प्रतिशत मुनाफा दिलाते हैं, और आपके
20 प्रतिशत काम ही 80 प्रतिशत मूल्य बढ़ाते हैं | इसका मतलब ये हैं कि अगर आपकी
लिस्ट में कुल 10 काम हैं, तो उनमें से दो काम बाक़ी सबसे पांच-दस गुना ज्यादा
मूल्यवान होगें |
तो दोस्तों आज ही संकल्प करे कि आप कम महत्व की गतिविधियों में कम समय देंगे और अपना ज्यादातर समय उन चुनिन्दा कामों में ही लगायंगे, जिनसे आपकी जिन्दगी और कैरियर में सचमुच फ़र्क पड़ेगा | क्योंकि काम का प्रबंधन जरुरी है ना की समय का |
धन्यवाद |
i like the way you think and present.
ReplyDeletethis is a result of a positive perspective.
good job arjun
Thank you very much ...Kya ap apna naam mention karenge
DeleteYes this is a result of positive
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